बांग्लादेश में प्रणब मुखर्जी का भव्य स्वागत

बांग्लादेश में प्रणब मुखर्जी का भव्य स्वागत

 

बांग्लादेश में कट्टरपंथी राजनीतिक दल जमात-ए-इस्लामी की ओर से हड़ताल के आह्वान के बीच आज दिवसीय यात्र पर पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का यहां भव्य स्वागत किया गया। यहां के राष्ट्रपति जिल्लुर रहमान ने मुखर्जी की हजर शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के वीवीआईपी लांच में अगवानी की। एयर इंडिया के विशेष विमान के बांग्लादेश की सीमा में दाखिल होने के साथ ही बांग्लादेशी वायुसेना के चार लड़ाकू विमानों ने इसको कवच प्रदान किया। राष्ट्रपति के विमान से बाहर निकलने के बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। हवाई अड्डे के रनवे के निकट अस्थायी रूप से बनाए गए मंच पर रहमान ने मुखर्जी का अभिनंदन किया। यहां मुखर्जी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और सेना के बैंड ने दोनों देशों के राष्ट्रगान बजाए।

करीब सात माह पूर्व देश के सर्वोच्च सांविधिक पद को ग्रहण करने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का यह पहला विदेश दौरा है। इस समय बांग्लादेश में युद्ध अपराधों के लिए तीन शीर्ष नेताओं को सजा दिए जाने के खिलाफ जमात ए इस्लामी के लोगों की ओर से हिंसा की जा रही है। उसके तीन नेताओं को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध पंचाट ने जनसंहार, बलात्कार और मानवता के विरूद्ध अपराधों का दोषी ठहराते हुए उन्हें सजा सुनायी है। इसी पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति को बांग्लादेश में उनके समकक्ष रहमान चार मार्च को देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करेंगे।

मुखर्जी अपनी इस यात्रा के दौरान बांग्लादेश के शीर्ष नेताओं से विभिन्न मसलों पर विचार विमर्श भी करेंगे जिनमें प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल हैं। मुखर्जी इस दौरान तीस्ता नदी जल बंटवारे और भू सीमा समझौते को मंजूरी दिए जाने जैसे अनसुलझे मुद्दों का समाधान निकालने में भारत की प्रतिबद्धता से भी पड़ोसी देश को अवगत कराएंगे। यात्रा से पूर्व विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा था कि मुखर्जी की यात्रा का मकसद ‘‘राजनीतिक विचार विमर्श में शामिल होना नहीं है। राष्ट्रपति शीर्ष बांग्लादेशी नेतृत्व को भारत की प्रतिबद्धता से अवगत कराएंगे जिनमें द्विपक्षीय संबंधों को एक नए आयाम पर ले जाना और अनसुलझे मुद्दों को सुलझाना शामिल है।’’

द्विपक्षीय संबंधों में आयी मौजूदा सद्भावना में अहम स्थान रखने वाले तीस्ता जल बंटवारे मुद्दे का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा विरोध किया है जिसके बाद यह मामला बीच में ही अटक गया है। 1974 के भू सीमा समझौते के क्रियान्वयन तथा एक दूसरे के कब्जे वाले हिस्सों की अदला बदली के मामले को अभी भारतीय संसद की मंजूरी मिलना बाकी है। बांग्लादेशी संसद ने सालों पहले 1974 में भू सीमा समझौते को मंजूरी प्रदान कर दी थी।