विश्वास कम करने वाले काम न करे पाकः प्रणव

21/02/2013 14:04

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज पाकिस्तान को नसीहत दी कि वह ऐसे कार्य न करे, जिससे विश्वास कम हो। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे, हम भारतीय उपमहाद्वीप में शांति और स्थिरता चाहते हैं। बतौर राष्ट्रपति संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को पहली बार संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, ''हम इस महाद्वीप में शांति, स्थिरता, सहयोग और आर्थिक विकास बनाये रखना चाहते हैं। हम अपने निकट पड़ोसियों के साथ संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।’’ उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने, द्विपक्षीय व्यापार तंत्र को मजबूत करने तथा दोनों देशों की जनता के बीच परस्पर संबंधों को बढ़ाने की दिशा में प्रगति की है। मुखर्जी ने कहा, ''यद्यपि हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, फिर भी जरूरी है कि पाकिस्तान अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे और ऐसे कार्य न करे, जिससे विश्वास कम हो।’’

महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए सरकार की ओर से उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कैबिनेट द्वारा मंजूर अपने भाषण में कहा, ''मेरी सरकार महिलाओं के प्रति यौन अपराधों की घटनाओं के बारे में गंभीर रूप से चिन्तित है। न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति की सिफारिशों पर विचार के बाद सरकार ने महिलाओं के प्रति घृणित अपराधों के लिए कड़े दंड की व्यवस्था करने के उद्देश्य से आपराधिक कानून में संशोधन करते हुए एक अध्यादेश जारी किया है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अनेक प्रशासनिक उपायों का कार्यान्वयन भी शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार शासन में अधिक पारदर्शिता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा एवं जवाबदेही हेतु सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है। ''इस दिशा में मेरी सरकार व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन विधेयक, विदेशी लोक पदधारी और अंतरराष्ट्रीय लोक संगठन पदधारी रिश्वत निवारण विधेयक, नागरिक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक और लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक अधिनियमित करने को प्राथमिकता देती है और ये विधेयक पहले ही संसद में प्रस्तुत किये जा चुके हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार प्रभावी रूप से दोषियों को दंडित करने और ईमानदार सरकारी कर्मचारियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन पर भी विचार कर रही है।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली की चर्चा करते हुए मुखर्जी ने कहा कि लाभार्थी आधार संख्या के माध्यम से छात्रवृत्ति, पेंशन और मातृत्व लाभ जैसे विभिन्न लाभ हासिल कर सकेंगे। आने वाले समय में प्रणाली के तहत मजदूरी और खाद्य पदार्थों एवं एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली की मदद से निधि के लीकेज को कम करने, लाखों लोगों को वित्तीय प्रणाली के तहत लाने और लाभार्थियों को बेहतर रूप से चिन्हित करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्पष्ट किया कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली सार्वजनिक सेवाओं का स्थान नहीं लेगी और यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पूरक होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय आप्टिकल फाइबर नेटवर्क योजना के तहत ढाई लाख ग्राम पंचायतों को दिसंबर 2014 तक ब्राडबैंड सुविधा से जोड़ा जाएगा।

सरकार की नीतियों को दर्शाने वाले इस अभिभाषण में राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि अर्थव्यवस्था के मामले में यह वर्ष भारत के लिए कठिन रहा और वैश्विक एवं घरेलू दोनों ही कारणों से देश का विकास प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि हाल में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गति धीमी रही है। चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही। यह पिछले दशक के लगभग आठ प्रतिशत वार्षिक विकास औसत दर से काफी कम है। उन्होंने कहा कि सरकार मंदी के कारणों से निपटने के लिए कदम उठा रही है। मुद्रास्फीति धीरे धीरे कम हो रही है किन्तु यह अभी भी समस्या बनी हुई है। मुखर्जी ने कहा कि हाल के महीनों में सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं। मुद्रास्फीति में कुछ कमी आयी है और विकास दर में पुन: वृद्धि होने की संभावना है। वर्ष के दौरान लिये गये नीतिगत निर्णयों से भी देश और विदेश में लोग पुन: आशावादी हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार माल एवं सेवा कर के संबंध में आम सहमति कायम करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर भी कार्य कर रही है। सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को अधिनियमित करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें प्राप्त हो गयी हैं।

वामपंथी उग्रवाद से निपटने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवादी हिंसा की घटनाओं में कमी की प्रवृत्ति देखी गयी है। जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। 2011 की तुलना में 2012 में आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में मृतकों की संख्या घटकर लगभग आधी रह गयी है।