बड़े दुख की बात है

18/02/2013 14:26

जब पूरी पृथ्वी पर कोई कपड़ेपहनना नहीं जानता था तब हम कपड़े का निर्यात करते थे
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जब पूरी दुनिया के लोग जानवरों को मार कर खाते थे तब हम यहाँ पर अपने भगवान को 56 भोग चढ़ाते थे
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जब पूरी दुनिया के बच्चे नंगे घूमते थे तब हम मंत्रोच्चार करते थे
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जब पृथ्वी पर उस परवरदिगार के संदेश वाहक और उस GOD का लड़का नहीं आया था तब हमारे यहाँ के बच्चे सरस्वती वंदना करते थ

जब पूरी दुनिया मे लोग एक दूसरे को लूटते तब हमारे यहाँ पर शांति का उपदेश दिया जाता था
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और एक आज का दिन है .... एक तरफ जब हम सबसे विकसित थे तो आज के दिन युवा(??) मित्र आज के दिन उन भूखों नंगों की नकल कर रहे हैं जिन्हे हमने पायजामे मे नाड़ा बांधना सिखाया ....
बड़े दुख की बात है