आर्थिक वृद्धि बढ़ाने को और घोषणाएं जल्द: चिदंबरम
वित्त विधेयक के संसद में पारित होने से पहले सरकार सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, बीमा और बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित कई गैर विधायी फैसलों की घोषणा करेगी, जिससे आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिल सके। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज यहां कहा कि 28 फरवरी को उनके द्वारा पेश बजट विधायी क्षेत्रों और व्यापक एजेंडा पर आधारित है। अब सरकार गैर विधायी फैसलों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि इन फैसलों में सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, बीमा और बैंकिंग शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि संसद में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान और घोषणाएं की जाएंगी तथा कई और फैसले लिए जाएंगे।
एक साक्षात्कार में चिदंबरम ने कहा कि वह वृद्धि के इंजन को फिर से चालू करने के लिए उनके (चिदंबरम द्वारा) द्वारा बजट में जो कुछ किया गया है उससे संतुष्ट हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मेरी पार्टी खुश दिख रही है। विपक्ष को तो आलोचना करनी ही है। यही विपक्ष की भूमिका है। खुलासा करना, विरोध करना और नीचे गिराना।’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘मैं इन आलोचनाओं से घबराता नहीं हूं। जैसा कि मीडिया करता है, कुछ चीजों को बढ़ाचढ़ाकर दिखाना और कुछ को नजरअंदाज करना। यह कुछ शिक्षा, कुछ मनोरंजन है।’’
बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं किए जाने के सवाल को हंसकर टालते हुए वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘‘इस तरह की बड़ी घोषणाओं में सिर्फ मीडिया की रुचि होती है। आम लोग छोटे और महत्वपूर्ण कदम चाहते हैं जिससे वृद्धि के इंजन को फिर से शुरू किया जा सके।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि मीडिया को अधिक उम्मीद, थियेटर पसंद है, लेकिन लोग सुचारू वृद्धि चाहते हैं जिससे जीवनयापन सुचारू हो।’’ चिदंबरम ने अब से मई, 2014 से पहले होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लोकलुभावन घोषणाओं की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि सरकार सिर्फ पांच बजट पेश कर सकती है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने अपना पांचवां बजट पेश कर दिया है। अगले साल फरवरी में लेखानुदान पेश होगा और उसके बाद चुनाव कराए जाएंगे।
एक घंटे के साक्षात्कार में वित्त मंत्री ने कई विषयों मसलन धनकुबेरों पर कर, कर चोरी रोकने के उपाय और काले धन को वापस लाने से संबंधित सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कर अपवंचकों के लिए किसी प्रकार की माफी योजना लाने से इनकार किया। अगले साल चुनाव के बावजूद बजट लोकलुभावन क्यों नहीं है, इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी स्पष्ट तौर पर समझती है कि अभी आर्थिक विकल्प सीमित हैं और देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती वृद्धि के इंजन को फिर से शुरू करने की है। यह पूछे जाने पर नए फैसलों का मकसद क्या होगा, चिदंबरम ने कहा, ‘‘अभी मैं कुछ नहीं कह सकता। संसद सत्र चल रहा है। उद्देश्य सिर्फ वृद्धि बढ़ाना है।’’
वित्त मंत्री से जब पूछा गया कि उन्होंने इस बार क्यों सोच समझ कर कोई कोई धमाकेदार घोषणा नहीं की तो उनका जवाब था, ''मेरे मन में ऐसे विचार कभी नहीं रहे हैं।’' अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के मद्देनजर क्या बजट बनाते समय हाथ बंधे थे, इस सवाल पर चिदंबरम ने कहा, ''हाथ नहीं बंधे थे। आर्थिक विकल्प सीमित थे। जब अर्थव्यवस्था 5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हो, तो विकल्प सीमित होते हैं। जब आर्थिक वृद्धि दर 9 प्रतिशत हो, तो आपके पास करने के लिए अधिक विकल्प होते हैं।’’ चिदंबरम ने कहा कि कारखाने और मशीनरी में 100 करोड़ रुपये के निवेश पर कर रियायत का कदम विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए उठाया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि सिर्फ विनिर्माण के जरिये ही आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाया जा सकता है। विनिर्मित उत्पादों के निर्यात से ही विदेशी मुद्रा हासिल की जा सकती और आयात का भुगतान किया जा सकता है। ‘‘ऐसे में विनिर्माण क्षेत्र को फिर से रफ्तार देने के लिए निवेश पर कर में रियायत दी गई है।’’ अगले वित्त वर्ष में वृद्धि में सुधार के आधार और क्या सरकारी सलाहकार अनुमान लगाने में विफल रहे हैं, के सवाल पर चिदंबरम ने सवाल दागते हुए कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि आप और मैं इन सलाहों पर टिप्पणी करने के कितने लायक हैं।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मेरे मुख्य आर्थिक सलाहकार एक विख्यात अर्थशास्त्री हैं। प्रधानमंत्री के पास आर्थिक सलाहकार परिषद है जिसके मुखिया विख्यात अर्थशास्त्री हैं जो रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे हैं।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि दोनों स्वतंत्र रूप से अनुमान लगाते हैं। ''उन्होंने हमें बताया कि वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर रहेगी और 6.4 प्रतिशत के आसपास रहेगी। ऐसे में मैं उनकी सलाह पर संदेह कैसे कर सकता हूं या फिर उसे खारिज कैसे कर सकता हूं।’’
चिदंबरम ने विश्वास जताया कि सरकार संसद के चालू सत्र में भाजपा सहित अन्य विपक्षी दलों के सहयोग से बीमा ओर पेंशन विधेयकों को पारित करने में सफल रहेगी। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हां, हम प्रगति कर रहे हैं। जिस तरह पिछले सत्र में हम बैंकिंग विधेयक और सरफेसी (ऋण प्रतिभूतिकरण) विधेयक को पारित करने में सफल रहे। मुझे लगता है कि प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और अन्य दलों के साथ जो हमारा विचार विमर्श हुआ है। मुझे उम्मीद है कि चालू सत्र में हम बीमा और पेंशन विधेयकों को पारित करवाने में सफल रहेंगे।’’ साक्षात्कार के दौरान निवेशकों को अपने संदेश में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘निवेशकों को हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हम टिकाऊ कर दरें चाहते हैं। हम कम कर दरों में विश्वास रखते हैं। हम वैमनस्य मुक्त कर प्रशासन, एक उचित तथा विवाद निपटान प्रणाली तथा स्वतंत्र न्यायपालिका चाहते हैं। गत छह अगस्त को मैंने जो पांच सिद्धान्त बताए थे, वहीं हमारे सिद्धान्त हैं।’’ प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि डीटीसी इस संसद सत्र की आखिरी तारीख से पहले पेश कर दिया जाएगा। जीएसटी का मामला राज्यों के वित्त मंत्रियों पर निर्भर करता है। मैंने अपना काम कर दिया, अब गेंद उनके पाले में है। वे संविधान संशोधन मसौदे तथा जीएसटी माडल कानून के मसौदे के साथ लौटे हैं। मुझे लगता है कि वे इस पर काम कर रहे हैं।’’
अपने बजट को रेटिंग देने पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैं अपने बजट को रेटिंग नहीं देता न ही किसी और के बजट को भी। मैं रेटिंग एजेंसी नहीं हूं। हम लोगों के लिए बजट बनाते हैं।’’ राजकोषीय घाटे पर चिदंबरम ने कहा, ‘‘बजट फरवरी के आखिरी आता है। पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा पेट्रोल कीमतों का समायोजन किया जाता है। सिर्फ मीडिया इसमें कनेक्शन जोड़ता है। सड़क पर आम आदमी किसी प्रकार का कनेक्शन नहीं जोड़ता।’’ योजनागत खर्च पर चिदंबरम ने कहा कि आपको अपने खर्चों में कटौती करनी होगी। गैर योजनागत व्यय को नहीं रोका जासकता। उसकी प्रतिबद्धता होती है। रक्षा, अर्ध सैनिक बल, वेतन, ब्याज भुगतान सभी इस प्रकार के खर्च हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि गुजरात माडल जैसी वृद्धि की कोई बात नहीं है। यह एक और खोज है। ‘‘गुजरात माडल जैसी कोई बात नहीं है। सभी राज्य अपनी जरूरतों के हिसाब से कुछ आर्थिक नीतियां लागू करते हैं। कई बार आपको अच्छे नतीजे मिलते हैं, कई बार खराब। मुझे नहीं लगता कि हमें इसे गुजरात माडल या फिर एक्स या वाई माडल कहना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यह बात सामने आई है कि कुपोषण, महिला कल्याण, अनुसूचित जाति-जनजाति की स्थिति के मामले में काफी खामियां हैं। ‘‘राज्य इनको सुलझा लेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि अन्य राज्यों की तरह गुजरात में कुछ अच्छी बातें हैं, तो कुछ खराब भी। यदि कुछ खामी है, तो मुझे विश्वास है कि गुजरात उनको दूर कर लेगा।’’