हेलीकॉप्टर खरीद मानदंड में बदलाव सहीः जसवंत

14/02/2013 17:50

 

भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने राजग शासन के दौरान 2003 में हेलीकॉप्टर खरीद के मानदंडों में बदलाव किए जाने के फैसले को सही बताते हुए आज दावा किया कि ऐसा विशुद्ध रूप से व्यावसायिक कारणों से किया गया था जिससे कि इसे सौदे को प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके। राजग सरकार में रक्षा मंत्री रह चुके सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सही है कि उस समय तकनीकी मानदंड में बदलाव किया गया था। लेकिन इसे लेकर हो रहे हो हल्ले की कोई वजह नहीं है क्योंकि ऐसा अच्छे कारणों के लिए किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में मूल प्रस्ताव आया और वायु सेना ने कहा कि अति विशिष्ट व्यक्तियों की आवाजाही के लिए खरीदे जाने वाले इन हेलीकॉप्टरों की 18000 फुट ऊंचे तक उड़ सकने की क्षमता होनी चाहिए। लेकिन जब यह प्रस्ताव सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति में आया तो तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने सही सुझाव दिया कि एकल विक्रेता प्रस्ताव उचित नहीं रहेगा। उस समय केवल एक ही कंपनी 18000 फुट तक की ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर बनाती थी। सिंह ने कहा कि मिश्र ने ‘‘ऐसा करके कुछ गलत नहीं किया था।’’

पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी पर लगाए जा रहे आरोपों पर जसवंत सिंह ने कहा, ‘‘हमें पूर्व वायु सेना प्रमुख पर अनर्गल आरोप नहीं लगाने चाहिए। यह वायु सेना और देश दोनों के हित में नहीं है। जांच चल रही है। त्यागी खुद कह रहे हैं कि जांच जल्द से जल्द होनी चाहिए। आप उनके सुझाव को क्यों नहीं मान रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, मुझे दुख इस बात का है कि इस तथ्य को भुलाया जा रहा है कि इस मामले में दोषी इतालवी कंपनी है। हमें सचाई को जानना चाहिए और उसके बाद एक दूसरे पर आरोप लगाने चाहिए।

भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए जिससे कि सारी सचाई सामने आ सके। उन्होंने कहा, ‘‘हम आंशिक जांच के पक्ष में नहीं हैं। हम मुक्कमल जांच चाहते हैं, ताकि जो लोग इस घोटाले के जिम्मेदार हैं उनके चहरे सामने आ सकें।’’

उधर भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने मांग की कि इतालवी कंपनी से हेलीकॉप्टर खरीद में कथित रिश्वत खाने के मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की देख रेख में होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ''इस घोटाले की जांच के सही नतीजे तभी सामने आएंगे जब उच्चतम न्यायालय की देख रेख में सारे मामले की समयबद्ध तरीके से तहकीकात कराई जाए। ऐसा नहीं होने पर मामले की लीपा पोती ही होगी।’’ आरोप है कि इतालवी कंपनी ने 36 हजार करोड़ रूपयों के इस सौदे में 362 करोड़ रूपए रिश्वत के रूप में दिए। इसमें त्यागी का नाम भी लिया जा रहा है लेकिन उन्होंने इसका पुरजोर खंडन करते हुए मामले की जल्द से जल्द जांच कराने की मांग की है। सरकार सीबीआई से जांच कराने के आदेश दे चुकी है।